Description
राहुकाल का तांडव
कुछ भी अजब व गजब कर स्वयं को सर्वश्रेष्ठ घोषित कर पाखण्ड फैलाकर लोगो की आस्था को बेचने वाले ज्योतिषियो के मानसिक विकार का फल है राहुकाल।राहु के नाम पर भिन्न भिन्न भ्रांतियों को फैलाकर ये लोग मात्र धन दोहन कर रहे है। जबकि वास्तविकता यह है कि 24 घंटे में ऐसा कोई भी समय नही जिसका स्वतंत्र अधिपति राहु हो।
यह विचारणीय तथ्य है कि जब राहु की उत्पत्ति ही सूर्य व चंद्रमा के मार्ग के प्रतिचेदन पर निर्भर करता है तो इसके स्वतंत्र काल की बात सत्य से परे है।
भारतीय मनीषियों ने जब सूर्य व चंद्रमा के स्वतंत्र काल की किसी स्थिति का उल्लेख नही किया तो राहु जो यूर्णतः परतंत्र है उसके काल का उल्लेख मात्र स्वार्थपरता, अवैज्ञानिक,तर्कहीन तथा मूर्खता का प्रमाण है।
Abhishek Kumar Pandey –
The best research in this field.
admin –
Thanks for your comments.